धर्म- आस्था : सावन के दूसरे सोमवार की व्रत कथा और पूजा विधि को पूरी तरह से जानें

धर्म- आस्था : सावन के दूसरे सोमवार की व्रत कथा और पूजा विधि को पूरी तरह से जानें

इस समय सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सावन के सोमवार का बहुत महत्व है। सावन का दूसरा दिन 21 जुलाई को है।

धर्म- आस्था :  सावन के दूसरे सोमवार की व्रत कथा और पूजा विधि को पूरी तरह से जानें

सावन के दूसरे सोमवार की व्रत कथा एक अत्यंत प्रेरणादायक और भक्तिभाव से परिपूर्ण कथा है, जो भगवान शिव की कृपा और श्रद्धा की शक्ति को दर्शाती है।

कथा का सारांश:-

एक नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, लेकिन संतान सुख से वंचित था। वह हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा करता और मंदिर में दीप जलाता। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने भगवान शिव से आग्रह किया कि उसे संतान का वरदान दें। शिवजी ने कहा कि उसके भाग्य में संतान नहीं है, लेकिन पार्वती के आग्रह पर उन्होंने उसे पुत्र का वरदान दिया—हालांकि यह पुत्र केवल 12 वर्ष तक जीवित रहेगा।

साहूकार ने यह बात स्वीकार की और पूजा जारी रखी। कुछ समय बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जब पुत्र 11 वर्ष का हुआ, तो उसे काशी पढ़ने भेजा गया। रास्ते में एक राज्य में उसका विवाह एक राजकुमारी से हो गया, लेकिन उसने ईमानदारी से पत्र लिखकर सच्चाई बता दी और काशी चला गया।

जब वह 12 वर्ष का हुआ, तो यज्ञ के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। उसी समय भगवान शिव और माता पार्वती वहां से गुज़रे। माता पार्वती ने शिवजी से आग्रह किया कि उस बालक को जीवनदान दें। शिवजी ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे पुनः जीवन दिया। बाद में वह अपने माता-पिता के पास लौट आया और सभी सुखी जीवन बिताने लगे।

इस कथा से सीख:-

- सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव हर मनोकामना पूरी करते हैं।
- सावन सोमवार का व्रत करने से संतान सुख, लंबी आयु, और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

सावन सोमवार की पूजा विधि : -  भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस दिन की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। यहां है एक सरल और प्रभावशाली विधि:-

- ब्रह्म मुहूर्त में उठेंऔर स्नान करें। स्नान के जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाना शुभ होता है।
- स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र** पहनें, जैसे सफेद या पीला।
- पूजा स्थल को साफ करें और वहां  भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  पूजन सामग्री
- गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत के लिए)
- बेलपत्र, धतूरा, भस्म, सफेद फूल
- चंदन, धूप, दीपक, कपूर
- रुद्राक्ष माला, फल, मिठाई, अक्षत (चावल)

पूजा विधि
1. व्रत संकल्प लें—दाहिने हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
2. शिवलिंग का अभिषेक करें—पहले गंगाजल, फिर पंचामृत, फिर पुनः गंगाजल से स्नान कराएं।
3. अर्पण करें—बेलपत्र (उल्टा करके), धतूरा, भांग, चंदन और फूल अर्पित करें।
4. मंत्र जाप करें—कम से कम 108 बार “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र भी कर सकते हैं।
5. आरती करें—शिव जी की आरती के साथ पूजा पूर्ण करें।
6. भोग अर्पित करें—फल, मिठाई या सात्विक भोजन भगवान को अर्पित करें और प्रसाद बांटें।

व्रत नियम
- दिनभर उपवास रखें—फलाहार करें, अन्न न लें।
- शाम को पुनः पूजा करें और शिव कथा का पाठ करें।
- अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें—सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करें।

यह विधि आपको मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और शिव कृपा दिला सकती है। 

 महामृत्युंजय मंत्र को मृत्यु पर विजय दिलाने वाला मंत्र माना जाता है। यह मंत्र भगवान शिव के त्रिनेत्र रूप "त्रयंबक" को समर्पित है और ऋग्वेद तथा यजुर्वेद दोनों में वर्णित है।

 मंत्र का मूल रूप:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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मंत्र का अर्थ:
हम त्रिनेत्रधारी शिव की उपासना करते हैं, जो जीवन को पोषण और सुगंध प्रदान करते हैं। जैसे खीरा बेल से अलग हो जाता है, वैसे ही हम मृत्यु के बंधन से मुक्त हों, लेकिन अमरत्व से नहीं।

सावन में जाप के लाभ:
- रोगों से मुक्ति और दीर्घायु की प्राप्ति
- मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि
- अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि

जाप की विधि:
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
- रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें
- शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें
- दीपक और धूप जलाकर ध्यान करें


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