Breaking News : किसानों व मजदूरों के लिए मोदी सरकार की भारी भरकम पैकेज मात्र छलावा : अजय राय

Breaking News : किसानों व मजदूरों के लिए मोदी सरकार की भारी भरकम पैकेज मात्र छलावा : अजय राय

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चन्दौली: वैश्विक महामारी से हर कोई परेशान हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश में भारी भरकम पैकेज से हर किसी को आशा बंधी थी लेकिन वित्त मंत्री जी की घोषणा से कारपोरेट घरानों को छोड़कर  हर कोई निराश हुआ है. यह भारी-भरकम पैकेज से किसान,मजदूरों के लिए मात्र छलवा साबित होगा. कई किसानों से बात करने के बाद स्वराज अभियान के नेता व मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने कहा कि
 वैश्विक महामारी व आपदा से किसानों के फसलों की हुई नुकसान पर मुआवजा के लिए कोई भी प्रावधान इस भारी भरकम पैकेज में नहीं है. आज किसानों को सही मूल्य पर फसलों को बेचने के संकट से जूझना पड़ रहा हैं , न तो सब्जियों , फल का सहीं मूल्य मिल रहा है और गेहूं सहित कई खाद्य पदार्थों की कीमत नहीं मिल रही
है. सरकारी समर्थन मूल्य में सरकार ने मामूली ही वृद्धि किया हैं. किसानों की यह मांग थी कि किसानों की गेंहूँ की खरीद गाँव गाँव में खरीद हो और तत्काल भुगतान हो लेकिन इस सवाल पर कोई घोषणा नहीं हैं. कृषि के लागत मूल्य बढ़ जाने और बाजार में सही मूल्य नहीं मिलने से किसानों की खेती लगातार घाटे में जा रहीं है.                 किसानों को घाटे की खेती से उबारने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार C-2 सहित फसल की कुल लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. लेकिन इस पर वित्त मंत्री ने चुप्पी साध ली. आज जब वैश्विक महामारी में किसानों का संकट बढ़ रहा हैं किसानों के ऊपर बैंक व महाजनी कर्ज बढ़ता जा रहा हैं और  किसानों के फसलों का बाजार में सही मूल्य नहीं मिल रहा हैं ऐसे में इस पैकेज का क्या मतलब निकलेगा. इस भारी भरकम पैकेज में किसानों के सम्पूर्ण कर्जा माफ़ करने के लिए कोई योजना नहीं हैं. वहीं हर किसानों को इस संकट में जो महामारी के रूप में हैं उससे उबरने के लिए किसानों के खाते में एक मुश्त कोई भी धनराशि भी नहीं दी जा रही है.                      केवल इस महामारी में वित्त मंत्री ने केवल कर्जा देने की घोषणा की हैं. यह कर्ज देने की घोषणा को कोई नई नहीं है. कर्ज की घोषणा तो पुरानी है किसानों के यंत्रों पर भी छूट की कोई घोषणा नहीं है और न ही किसानों को सुगम बाजार के लिए कोई पैकेज और न ही जर्जर नहर माइनर बंधे को ठीक करने का  भी इस पैकेज में प्लान हैं. प्रावधान मजदूरों की तरह किसानों को भी मोदी सरकार ने बेसहारा छोड़ दिया हैं.  स्वदेशी का राग अलापने वाली सरकार अपने देश के गन्ना किसानों को सही कीमत व तत्काल भुगतान कभी नहीं करतीं हैं.                                              चीनी मिलों की हालतें खस्ता हैं. उसके लिए कोई राहत नहीं दिया जाता हैं. उल्टे विदेश से चीनी का आयात किया जाता हैं. मजदूरों, किसानों, पटरियों पर रोजगार कर जीवनयापन करनेवाले, सहित तमाम  उन लोगों को जो लॉकडाउन में परेशान हैं. उनके लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज केवल छलावा हैं.