चन्दौली: जैनकुंड़ क्षति ग्रस्त, कैसे होगी किसानों के खेतों की सिंचाई, एसडीओ से मरम्मत करने की मांग

चन्दौली: जैनकुंड़ क्षति ग्रस्त, कैसे होगी किसानों के खेतों की सिंचाई, एसडीओ से मरम्मत करने की मांग



◆  किसानों के खेतों की सिंचाई को लेकर विभागीय अधिकारी व जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं :अजय राय                                          चकिया / चन्दौली: पूर्वी उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल में धान का कटोरा कहा जाने वाला चन्दौली में सिचांई विभाग के  अधिकारियों की लापरवाही से किसानों की स्थिति दयनीय हो गयी है.                                      "चन्द्रप्रभा डीविजन द्वारा क्षतिग्रस्त जैनकुंड़ की मरम्मत का कार्य सिचांई विभाग द्वारा नहीं कराया जा रहा हैं. दस वर्ष से किसानों द्वारा सिचाई को लेकर सिचाई बिभाग के जिम्मेदार अधिकारियों  से लेकर जनप्रतिनिधियों तक फरियाद लगाया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. किसान मजदूर मंच व स्वराज अभियान के नेता अजय राय ने सिचाई विभाग के एसडीओ कमलेश सोनकर से मिलकर किसानों की समस्याओं पर गंभीर ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है."                           उनका कहना है कि ग्रामीणों के फरियाद के बाद भी यह सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिल रहा हैं. और विभाग के पास अभी पैसा नहीं है यह कहते हुए पल्ला झाड़ दिया जा रहा हैं. सही में कहें तो सिचाई विभाग कभी भी किसानों की सिचाई समस्या को लेकर गंभीर नजर नहीं आता हैं. जिस कारण किसानों को 10 वर्ष से निजी साधनों से  सिचना पड़ रहा है तथा जैनकुंड़ से खेतों तक पानी नहीं मिल पा रही है. "स्वराज अभियान के नेता व मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय कहते हैं कि केंद्र में मोदी सरकार तथा राज्य मे योगी सरकार ने जहां किसानों की आय को बढ़ाने के लिए किसानों के खेतों तक हर हाल में सिचाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जनपद में नहरों माइनरों को ठीक करके का दावा कर रही है.                                                             और साथ ही शासन के द्वारा अधिकारियों को निर्देशित करने की किसानों को आश्वासन दिया जाता हैं  जिससे की किसानों के खेतों को पानी हर हाल में उपलब्ध हो सके. यहीं नहीं किसानों की समस्याओं का भी हर हाल मे निस्तारण हो सके.मगर इस जनपद में सिंचाई विभाग उदासीनता से किसानों की स्थिति बिगड़ गई है. इसे लेकर  किसानों मे सिचाई को लेकर रोष व्याप्त है."

श्री राय ने बताया कि दरअसल , पूरा मामला चकिया नगर मुख्यालय से सटे गरला गांव का है. जहां सिचांई के लिए गरला मे बनी माइनर दस वर्ष पूर्व से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. जिससे पानी काफी मात्रा मे बर्बाद हो रहा है तथा किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. जबकि किसानों का दर्द सुनने वाला कोई भी नहीं है.